ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
अंधेरा हर तरफ और मैं दीपक की तरह जलता रहा।
मैंने माना कि नुकसान देह है ये सिगरेट...
जुल्फें तेरी बादल जैसी आँख में तेरे समंदर है,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती।
ज़ालिम दुनिया समंदर है किनारा मुमकिन नहीं।
सुना है कि महफ़िल में वो बेनकाब आते हैं।
बिछड़ के मुझ से वो दो दिन उदास shayari in hindi भी न रहे।
कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्वाब आते हैं,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे?
रहा मैं वक़्त के भरोसे और वक़्त बदलता रहा,